मुसीबतों में ऊपरवाले याद आते है
बाद में न जाने वो कहा जाते है

आते है शिद्दत से याद दुखभरे दिन
खुशीयों के पल न जाने कहा जाते है

चलते रहो जब तक है सांसो में दम
इसी तरीके से चलो कही पहोंच जाते है

होते है जो चोटियों पर कामयाबी में लोग
अक्सर अपने अहंकार से फिसल जाते है

ज़रूरतों में याद करते है बड़े प्यार से
कुछ लोग फिर दिखने बंद हो जाते है

चाहा था कभी जिन्हें खुद से भी ज़्यादा
ऋत्वीक वो लोग न जाने कहा जाते है

-ऋत्वीक