ओ परियो के देसवाली
ठहर जा ज़रा..
किस शहर में है ठिकाना तेरा,
ज़रा पता तो चले!
ये हीरों सी आँखे,
कुछ करती है बयाँ,
कितने है ग़म छुपे
ज़रा पता तो चले..
होठ जैसे हो गुलाब,
गुलकंद सी मीठी बाते!
किस महफ़िल की हो रौनक
ज़रा पता तो चले..
ज़ुल्फ़ें है या है काला जादू कोई
जैसे रेशम के हो धागे
राज़ है क्या ये छुपाये
ज़रा पता तो चले!
परी हो तुम,
और मैं हु वो मेंढक
अब आगे होगा क्या
ज़रा पता तो चले!
-ऋत्वीक