कुछ धूप, कुछ छाँव, कुछ तूफान बाकी हैं,
अभी ज़िन्दगी में कई इम्तेहान बाकी हैं
जीतनेवालें अपनी जीत पर गुरुर ना कर
जीत ली ज़मीन तो ये आसमान बाकी हैं
जब तक तू नहीं मानेगा हार नहीं होगी
कोशिशें जारी रख अभी जान बाकी हैं
कर शब्दों का उपयोग ज़रा संभल कर
तलवार तो बना ली अब म्यान बाकी हैं
कदम बढानेसे फासलें कम हुआ करते हैं
मिटाना मंज़िल पर जो थकान बाकी हैं
किस्मत की मार से ना होना तू मायूस
तू आज़ाद परिंदा हैं तेरी उड़ान बाकी हैं
-ऋत्वीक