तेरे सिर्फ साथ होने से भी मुस्कुराता हु मैं,
और बिना तेरे आसानी से टूट जाता हु मैं,
रेहमत खुदा की मुझ पर है ये यारियां,
इतनी बरकतों का हर पल शुक्र मनाता हु मैं।
था ग़मो के अंधेरों में साथ तुम्हारा हरदम,
हुए लड़ाई झगड़े, पर प्यार न कभी कम,
हुई है सदा मोहब्बत चोट, और दोस्ती मरहम,
इतनी नेमतों के कर्ज़दार सदा रहेंगे हम।
आ मिलता है पल पल जैसे साहिल से समंदर,
कुछ यू हो हमारा रिश्ता और कोई छूटे ना कसर,
सजती रहे महफिले हमारी हमेशा इसी कदर,
यही बस चाहूंगा गर हो जाए दुआओं में असर।
-ऋत्वीक
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