तूफानों से घिरे इस समुन्दर का
कोई तो किनारा होगा
साहिल चूमेगी जब कश्ती मेरी
सबका हिसाब होगा
छोड़कर भागा जो अक्सर कहता था
तू कभी तन्हा ना होगा
वक्त बदलेगा, धुंआ छटेगा और
सबका हिसाब होगा
कौन थाम पाया है जानेवाले का हाथ
फिर भी मैंने लाख रोका
रखा है बही खाता भगवान का भी मैंने
सबका हिसाब होगा
आदर्श कहते थे जो दोस्ती को हमारी
उनसे भी मिला है धोखा
आएगी बहारें जब गर्दिश में हमारी
सबका हिसाब होगा
किसी को बीच सड़क पर छोड़
कभी मैं भी था भागा
बचा नही है कर्मों से कोई
सबका हिसाब होगा
-ऋत्वीक