लूट जाते है मासूम, लुटेरे गुमनाम हैं,
शहर के हर मैखाने में, इश्क़ बदनाम हैं!

दिल हैं कहीं टूटता, कहीं टूटता जाम हैं,
सपनों की तबाही का तमाशा सरेआम हैं,

खुद की फिकर ना दुनिया से कोई काम हैं,
इश्क़ की बीमारी का हर इलाज नाकाम हैं,

तूफानों में कश्ती और साहिल पे मुकाम हैं,
मेहबूब का मिल जाना कुदरत का इनाम हैं,

ऋत्वीक ये इश्क़, बर्बादी का तामझाम हैं,
इससे दूर रहना ही समझदारी का काम हैं!

-ऋत्वीक