इस ज़िन्दगी को जो दिलो-शिद्दत से चाहोगे
तुम इन काटों में महकता गुलाब बन जाओगे
इसके ताने बाने, हसरतें, मुश्किलें और आफत
खत्म ही नही होते तुम जिस भी गली जाओगे
दिखाती ये सपने हज़ार, जगाती आशाये बेशुमार
और देती है दिन सिर्फ चार, भागकर कहा जाओगे
कोई तमन्ना हो दिल में तो एक कोशिश जरूर करना
बाज़ी जीतों या हारों तुम सबक नया सीख जाओगे
मरकर किसने जाना है एक बार मिली या सौ बार
तुम इसे एक बार चाहोगे तो सौ बार जी जाओगे
शेहेनशाहो के सर का ताज है ये ज़िन्दगी ऋत्वीक
वरना जब भी जाओगे तो खाली हाथ ही जाओगे
-ऋत्वीक