अब खैर दावा ये है के सीमा में उसकी सारा क्षितिज हैं,
पर मोहब्बत अगर हुस्न की मोहताज हैं तो अपाहिज हैं।

रंग-जात-धर्म-वरिष्ठ-कनिष्ठ इत्यादि भेदभावों से दूर हैं,
भौतिकता का हर मुकदमा उसकी अदालत में खारिज हैं।

कुछ लोग कहते हैं इसे पाने में सिर्फ हिम्मत काफी हैं,
पर मुझे लगते कुछ ज्यादा जरूरी सब्र और तमीज़ हैं।

इस जहान की सारी बारीकियों में यूँ तो छुपी मोहब्बत हैं,
पर Tinder जैसी विपदाओं से कोसों दूर ये चीज़ हैं।

अंधेरों में देखोगे तो परछाई का भी मिलना मुश्किल हैं,
सिर्फ कुदरत की ही सिफारिश पर बोया जाता ये बीज हैं।

पहली नज़र में हो जाए वो मोहब्बत से ज़्यादा हवस हैं,
सच्चे आशिक़ नही किसी घड़ी की सुई के मरीज़ हैं।

खुशनसीब हैं वो जो अपनी कमसुरती पे ठुकराए गए हैं,
इंसाफ के अलग मायने हैं जहां ऋत्वीक की दहलीज़ हैं।
-ऋत्वीक