होगा सवेरा नया देख लेना,
होगा हासिल जहां देख लेना।
तिलमिलाती धूप से जलती जमीं,
बारिश से भिगेगी देख लेना।
ठंडी हवा लाएगी महक मिट्टी की,
किसान मुस्कुराएगा देख लेना।
होगा एक शहर तेरा अपना भी,
कुछ अपने भी होंगे देख लेना।
ये जो रिसता हुआ मकान है ना,
यहीं एक महल होगा देख लेना।
कोई सुननेवाला तेरा भी होगा,
होगी क़बूल दुआ देख लेना।
रात के सन्नाटे जब बोल उठेंगे,
सच हो जाएंगे सपने देख लेना।
महकते मोगरों के करीब जाकर,
कुछ फूलों को जेब मे रख लेना।
वो जो कल बिछड़ा यार हैं ना,
बस आता ही होगा देख लेना।
होगा सवेरा नया देख लेना,
होगा हासिल जहां देख लेना।
-ऋत्वीक