कमबख़्त यादें

मुसीबतों में ऊपरवाले याद आते है बाद में न जाने वो कहा जाते है आते है शिद्दत से याद दुखभरे दिन खुशीयों के पल न जाने कहा जाते है चलते रहो जब तक है सांसो में दम इसी तरीके से चलो कही पहोंच जाते है होते है जो चोटियों पर कामयाबी में लोग अक्सर अपने […]

इश्क़ ज़िन्दगी से

इस ज़िन्दगी को जो दिलो-शिद्दत से चाहोगे तुम इन काटों में महकता गुलाब बन जाओगे इसके ताने बाने, हसरतें, मुश्किलें और आफत खत्म ही नही होते तुम जिस भी गली जाओगे दिखाती ये सपने हज़ार, जगाती आशाये बेशुमार और देती है दिन सिर्फ चार, भागकर कहा जाओगे कोई तमन्ना हो दिल में तो एक कोशिश […]

कंगाल

रब की रेहमत है मोहब्बत किसीकी जायदाद नहीं जो सबकी जेबों में हो ये वो सिक्का नहीं बिकते है धोखे सरेआम हम धोखेबाज़ नहीं किस्मत के प्यादे है थोड़े पागल ही सही लौट जाएंगे अपने घर अभी दाव लगाया ही नहीं मैखाना खाली होनेको है अभी जाम बनाया ही नहीं इश्क़ का तजुर्बा हमनें शराब […]

सबका हिसाब होगा

तूफानों से घिरे इस समुन्दर का कोई तो किनारा होगा साहिल चूमेगी जब कश्ती मेरी सबका हिसाब होगा छोड़कर भागा जो अक्सर कहता था तू कभी तन्हा ना होगा वक्त बदलेगा, धुंआ छटेगा और सबका हिसाब होगा कौन थाम पाया है जानेवाले का हाथ फिर भी मैंने लाख रोका रखा है बही खाता भगवान का […]

आखिर कब जागेंगे हम?

जब बढ़ती हुई गर्मी गला देगी हिमालय को और सागर लिपट जाएगा धरा से क्या तब जागेंगे हम? जब सरफिरे तोड़ देंगे सारे वृक्षों को और नंगा हो जाएगा ये जहान क्या तब जागेंगे हम? जब चुकाना पड़ेगा हर धुंए का हर्जाना और शुद्ध हवा भी मेहेंगी होगी क्या तब जागेंगे हम? जब टूट जाएगा […]

क्या बात करोगे…

जाती और धर्म पूछने वालो एकता की क्या बात करोगे नफरत से मिले फुरसत तुम्हे तो प्यार की क्या बात करोगे गर्मियों की तपती धूप में छाव की क्या बात करोगे आंगन में पानी मारने वालों प्यास की तुम क्या बात करोगे पत्तो को पानी पिलानेवालो जड़ो की तुम क्या बात करोगे सब्जियों में भाव […]

मार के गोली सीने पे…

निकल पड़े थे नौजवान ग़ुलामी का बदला लेने मार के गोली सीने पे अंग्रेज़ो से लोहा लेने जालियांवाला बाग की हर चीख उन्हें रुलाती थी प्रतिशोध की ज्वाला आखों से हर नींद उड़ा ले जाती थी उस बहरी हुकूमत को बम से आवाज़ सुनाई थी इंक़लाब के नारों से अंग्रेज़ी नींव हिलायी थी रंग दे […]

एक बदनाम की कलम से

बदनामी का आलम कुछ यूँ है बरपा चुरा ली गयी नज़रे, दूर हुए सखा चला कुछ ऐसे ज़लीली का आलम पीठ पीछे क़त्ल, सरेआम हुआ जनाज़े में तो शरीक होते है सब अपने वो मकाम आया भी नहीं, छोड़कर भागे कितने गोबर को भी है यहां, सम्मान थोड़ा ही सही मैं उठ जाता हु अक्सर, […]

ज़रा पता तो चले!

ओ परियो के देसवाली ठहर जा ज़रा.. किस शहर में है ठिकाना तेरा, ज़रा पता तो चले! ये हीरों सी आँखे, कुछ करती है बयाँ, कितने है ग़म छुपे ज़रा पता तो चले.. होठ जैसे हो गुलाब, गुलकंद सी मीठी बाते! किस महफ़िल की हो रौनक ज़रा पता तो चले.. ज़ुल्फ़ें है या है काला […]

दास्तां-ए-तन्हाई

तन्हा थे, तन्हा रह जाएंगे ख़त्म होगी शराब, सिर्फ पैमाने रह जाएंगे अब ना होगी, उम्मीद किसीसे कोई भरी महफ़िल में, हम ये बात कह आएंगे मिले धोखे है , हर दूसरे शख़्स से निकल जाए मतलब, तो वे आँख ना मिलाएंगे साथ छोड़ते देखे है, कितने महफ़िलो के साथी रूठे ना हमसे कोई, वो […]