तन्हा थे, तन्हा रह जाएंगे
ख़त्म होगी शराब, सिर्फ पैमाने रह जाएंगे
अब ना होगी, उम्मीद किसीसे कोई
भरी महफ़िल में, हम ये बात कह आएंगे
मिले धोखे है , हर दूसरे शख़्स से
निकल जाए मतलब, तो वे आँख ना मिलाएंगे
साथ छोड़ते देखे है, कितने महफ़िलो के साथी
रूठे ना हमसे कोई, वो तक़दीर कहासे लाएंगे
भरा हमेशा होता है, हुस्नवालों का शामियाना
किसी कमसुरत के घर, शोर ना तुम पाओगे
सपने दिखा जाते है, दिखानेवाले सुहाने
पहले होते है अज़ीज़, फिर देते है बहाने
लिख जाते है गीतकार, प्यार के तराने
कितने है बेवफा यहां, ये कोई क्यों न जाने?
कुछ इस कदर है टूटा, शीशा कोई टूटे जैसे
आग भी हो लगी, और शोर ना हुआ जैसे
क्या बताये तुम्हे, इस तन्हाई का सबब
कुछ यूँ है मांजरा, ख़फ़ा हो गया रब
तन्हा थे, तन्हा रह जाएंगे
ख़त्म होगी शराब, सिर्फ पैमाने रह जाएंगे
-ऋत्वीक